Tuesday, April 12, 2022

ध्रुव नारायण सिंह राई की ग़ज़ल - कभी ना सर झुकाया मुश्किलों के सामने

 

ध्रुव नारायण सिंह राई

 

कभी ना सर झुकाया मुश्किलों के सामने

दिल खोल मुस्कुराया मुश्किलों के सामने

 

दुश्मन आते रहे दोस्त दूर जाते रहे

यूँ मैं देखता रहा मुश्किलों के सामने

 

कभी तन्हा रातें कभी तेज दोपहरी

मैं फिर भी मस्त रहा मुश्किलों के सामने

 

वक़्त की ये नज़ाकत नाज़ुक मेरी हालत

मैं हर हाल में खड़ा मुश्किलों के सामने

 

बेवसी ऐसी रही कि तंग ज़िंदगी रही

बेवस न राई रहा मुश्किलों के सामने 

                                                                                            ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई


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अँगूठा बोलता है (खण्डकाव्य), 1997,  ध्रुव नारायण सिंह राई


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