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Tuesday, April 12, 2022

ध्रुव नारायण सिंह राई की ग़ज़ल - कभी ना सर झुकाया मुश्किलों के सामने

 

ध्रुव नारायण सिंह राई

 

कभी ना सर झुकाया मुश्किलों के सामने

दिल खोल मुस्कुराया मुश्किलों के सामने

 

दुश्मन आते रहे दोस्त दूर जाते रहे

यूँ मैं देखता रहा मुश्किलों के सामने

 

कभी तन्हा रातें कभी तेज दोपहरी

मैं फिर भी मस्त रहा मुश्किलों के सामने

 

वक़्त की ये नज़ाकत नाज़ुक मेरी हालत

मैं हर हाल में खड़ा मुश्किलों के सामने

 

बेवसी ऐसी रही कि तंग ज़िंदगी रही

बेवस न राई रहा मुश्किलों के सामने 

                                                                                            ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई


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ध्रुव नारायण सिंह राई




Wednesday, March 23, 2022

मैं आईना क्या देखूँ / ग़ज़ल- ध्रुव नारायण सिंह राई

 

ध्रुव नारायण सिंह राई

                        





                          मैं आईना क्या देखूँ

                                                  (ग़ज़ल)

 

मैं आईना क्या देखूँ मेरा आईना तो तुम हो

अक्स-ए-रूह देखता हूँ मेरा आईना तो तुम हो

 

मैनें जहाँ में जो भी देखा सिर्फ तेरा ही रंग देखा

शान-ए-हयात क्या देखूँ मेरा आईना तो तुम हो

 

सैरकर तेरे आँखों का मैं सैर करता जहाँ का

बाहर क्यों कहीं मैं जाऊँ मेरा आईना तो तुम हो

 

रंग-रंग के नज़ारे तेरे रूख़ो-बदन में क़ैद

मैं देख मचल जाता हूँ मेरा आईना तो तुम हो

 

जहां कहीं भी जमीं पर मैंने मंज़रे-बहार देखा

बहार में तुम ही तुम थी मेरा आईना तो तुम हो

...............................


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ग़ज़ल -ध्रुव नारायण सिंह राई/आज फिर आस्माँ में घनी घटा छाने लगी है

ध्रुव नारायण सिंह राई की ग़ज़ल (सफ़र-ए-ज़िंदगी)


मैं आईना क्या देखूँ , ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई के द्वारा  मैं आईना क्या देखूँ  ग़ज़ल के वाचन का युटुब वीडियो 





कविवर युगल किशोर प्रसाद (कविता : बरसात-उमड़ते बादल)
 

Sunday, February 27, 2022

ध्रुव नारायण सिंह राई की ग़ज़ल (सफ़र-ए-ज़िंदगी)


       सफ़र-ए-ज़िंदगी

                              (ग़ज़ल)
 

तय करना है साथ-साथ सफ़र-ए-ज़िंदगी

मुश्किलों में भी लगे सुहाना सफ़र-ए-ज़िंदगी

 

मुझको होगा दर्द, अगर तुमको काँटे चुभे

देह दो और जाँ एक होगी सफ़र-ए-ज़िंदगी

 

चलते-चलते थकी तो थाम लूँगा हाथ तेरा

ख़ुशी-ख़ुशी तय हो जायेगा सफ़र-ए-ज़िंदगी

 

हम होंगे न गुमराह चाहे जैसा हो ज़माना

ऐसा अर्मान-ए-इश्क़ मेरा सफ़र-ए-ज़िंदगी

 

चाहे जो भी हो जाये मुहब्बत कम नहीं होगी

हमेशा रहेगा ख़ुशनुमा सफ़र-ए-ज़िंदगी


ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई











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ध्रुव नारायण सिंह राई की ग़ज़ल (ये हसीं हँसी गर मिली है मुझको)

मैं आईना क्या देखूँ / ग़ज़ल- ध्रुव नारायण सिंह राई


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ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई की ग़ज़ल सफ़र-ए-ज़िंदगी का युटुब वीडियो 




Monday, February 21, 2022

ध्रुव नारायण सिंह राई की ग़ज़ल (देखकर भी नज़र चुराना)


ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई


                      
देखकर भी नज़र चुराना

 

देखकर भी नज़र चुराना कोई तुमसे सीखे

कैसे बनता हसीन बहाना कोई तुमसे सीखे

 

चलते-चलते बिछड़ गये तो मैं दूँगा सदा

कैसे कोई चुप रहता है कोई तुमसे सीखे

 

ज़िंदगी दो दिनों की हँसकर गुजर जाए

मैं क्या जानूँ यूँ रूठना भी कोई तुमसे सीखे

 

क्या मिलेगा रूठकर ऐसे रूठना ही बेमानी

रूठना और फिर मनाना कोई तुमसे सीखे

 

आशिक़ हैराईहमेशा आशिक़ ही रहेगा

दिल-दुखाना यूँ किसी का कोई तुमसे सीखे



ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई द्वारा रचित ग़ज़ल देखकर भी नज़र चुराना यु टुब चैनल लिंक

विनीता राई की युटुब पर विनीता द्वारा ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई जी के गजल का वाचन



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