Thursday, August 11, 2022

कवि महेंन्द्र प्रसाद जी के कविता का समर्पन महाकवि ध्रुव नारायण सिंह राई को

 

कवि महेन्द्र प्रसाद
ग्राम गुड़िया, सुपौल
 बिहार












हाल ही में कवि महेन्द्र प्रसाद जी की दो नयी पुस्तकें आयी हैं जिसमें एक "गुड़ीया का गहना" कविता संग्रह है और यह कविता उस पुस्तक से है जो आपके समक्ष प्रस्तुत है।


स्व. महाकवि ध्रुव नारायण सिंह राई

महाकवि ध्रुव नारायण सिंह राई का जिनका पहचान अलग,
धनी विचार-व्यवहार से, व्याप्त है आज उनका साहित्य।
जीवनभर शिक्षा दान, जिससे मिला हरदम उनको सम्मान,
पद का गौरव न आया उनमें न स्वार्थ का लगाम।
प्रधानाध्यापक पद पाकर बदल दिया जेनरल हाई स्कुल का विधान,
आनेवाली पीढ़ियों को कृति का हमेशा होता रहेगा भान।
ग़ज़ल सम्राट राई जी को भेंट क्रम में देखा करते शिक्षादान,
नन्हें-मुन्ने बच्चों के बीच काफी मगन हमने उनको पाया।
प्रश्न- सेवा निवृत होकर करते कौन-कौन सा कृत,
उत्तर- उम्रसे सेवा निवृत परन्तु बच्चों से है मुझे प्रीत।
बच्चों के बीच हँसते खेलते उकेरते नित,
उत्साह लगन देखकर हो जाते समर्पित।
अँगूठा बोलता है, द्वापर गाथा पुस्तक हैं सामाजिक न्याय के सूत्र,
अनेक पुस्तकों के रचनाकर बने सच्चे सुपुत्र।
उनकी कृतिया खुद बोल रही है सभी के दिलों को खोल रही है,
रचना क्रम में बढ़ी प्रीत रहे प्रेरणा श्रोत वो हमारे।
अवकाश प्राप्त पर्यन्त हमारा मिलन कर गया जादू सा परिवर्तन,
वाणी अमृत से भर गया मुझमें बल बने छत्रछाया वो हमारे।
आत्मबल, अंतरमन से कर रहा हूँ आज कृतिया सारी
मिलन हमारा 26/06/21 को था अन्तिम,
सुन मेरा नाम उपर कमरे से नीचे आये साथ मधुर मुस्कान।
भाव भरा शब्दों में हमें सहर्ष स्वीकार किया,
चाय-पानी से हमारा सत्कार किया।
कोतुहल शब्दों हाल-समाचार हुआ
आदेश निकला तुरन्त,
लौटिये मेहमानी से तब बनेगा रचनाओं का किला।
लौटने के पश्चात, त्रिवेणीगंज की धरती की आवाज-
क्यों तोड़ते हैं महापुरूषों से प्रीती?
घर आकर मन चिंतित मोबाइल पर ज्ञात हुआ
महाकवि राई जी ने पायी जीवन मुक्ति
खुद तो धनी और मुझे भी धनी बनाया
हरदम मैं बना रहूँगा आभारी,
उनके सपनों को पूर्ण करने के लिए
सदा बना रहूँगा सहभागी।
जय जन जय महाकवि राई।
......................


कवि महेन्द्र प्रसाद जी की पुस्तके

गुड़ीया का गहना
हिन्दी काव्य संग्रह
महेन्द्र प्रसाद

मोनक बात अनमोल
मैथिली काव्य संग्रह
महेन्द्र प्रसाद


Read more








No comments:

Post a Comment

“द्वापर गाथा” महाकाव्य समकालीन युगधर्म से सम्पन्न एक काव्य-कृति-डॉ. धर्मचन्द्र विद्यालंकार

(पुस्तक समीक्षा) समकालीन युगधर्म से सम्पन्न एक काव्य-कृति “द्वापर गाथा” महाकाव्य -डॉ. धर्मचन्द्र विद्यालंकार           महाकाव्य साहित्य का स...