ध्रुव नारायण सिंह राई |
मैं आईना क्या देखूँ
(ग़ज़ल)
मैं आईना क्या देखूँ मेरा आईना तो तुम हो
अक्स-ए-रूह देखता हूँ मेरा आईना तो तुम हो
मैनें जहाँ में जो भी देखा सिर्फ तेरा ही रंग देखा
शान-ए-हयात क्या देखूँ मेरा आईना तो तुम हो
सैरकर तेरे आँखों का मैं सैर करता जहाँ का
बाहर क्यों कहीं मैं जाऊँ मेरा आईना तो तुम हो
रंग-रंग के नज़ारे तेरे रूख़ो-बदन में क़ैद
मैं देख मचल जाता हूँ मेरा आईना तो तुम हो
जहां कहीं भी जमीं पर मैंने मंज़रे-बहार देखा
बहार में तुम ही तुम थी मेरा आईना तो तुम हो
...............................
Tap on link to read more
ग़ज़ल -ध्रुव नारायण सिंह राई/आज फिर आस्माँ में घनी घटा छाने लगी है
ध्रुव नारायण सिंह राई की ग़ज़ल (सफ़र-ए-ज़िंदगी)
मैं आईना क्या देखूँ , ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई के द्वारा मैं आईना क्या देखूँ ग़ज़ल के वाचन का युटुब वीडियो
कविवर युगल किशोर प्रसाद (कविता : बरसात-उमड़ते बादल) |