Showing posts with label Aaj phir aasman me ghani ghata chane lagi hai Dhruva Narayan Singh Rai ki gajal. Show all posts
Showing posts with label Aaj phir aasman me ghani ghata chane lagi hai Dhruva Narayan Singh Rai ki gajal. Show all posts

Wednesday, March 30, 2022

ग़ज़ल -ध्रुव नारायण सिंह राई/आज फिर आस्माँ में घनी घटा छाने लगी है

आज फिर आस्माँ में घनी घटा छाने लगी है

मुझे किसी के गेसुओं की याद आने लगी है

 

मंडरा रहे मस्त भौंरे गुल-ए-गुलाब पे

रफ़्ता-रफ़्ता ख़ुमारी सरपर छाने लगी है

 

माहताबे-रूख़ खेले आँख मिचौली, ख़ुशी

रात भी ग़ज़ल आज गुनगुनाने लगी है

 

तीर-ए-नज़र से क्यूँ होता है दिल धायल

ये अदा चिलमन में आग लगाने लगी है

 

मय, मैकदा और शोख़ी-ए-साक़ी सब कुछ

कहीं दूर से सदा-ए-आरज़ू आने लगी है

ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई

   ग़ज़ल -ध्रुव नारायण सिंह राई






आज फिर आस्माँ में घनी घटा छाने लगी है ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई रचित ग़ज़ल का निर्मला विष्ट जी के द्वारा वाचन का युटुब वीडियो


ध्रुव नारायण सिंह राई की ग़ज़ल (ये हसीं हँसी गर मिली है मुझको)

“द्वापर गाथा” महाकाव्य समकालीन युगधर्म से सम्पन्न एक काव्य-कृति-डॉ. धर्मचन्द्र विद्यालंकार

(पुस्तक समीक्षा) समकालीन युगधर्म से सम्पन्न एक काव्य-कृति “द्वापर गाथा” महाकाव्य -डॉ. धर्मचन्द्र विद्यालंकार           महाकाव्य साहित्य का स...