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Thursday, February 24, 2022

कविता- ‘सावधान! इस गली में एक कवि रहता है' महाकवि ध्रुव नारायण सिंह राई के संदर्भ में

 

महाकवि ध्रुव नारायण सिंह राई के संदर्भ में कविता ‘सावधान! इस गली में एक कवि रहता है’  ‘कविवर रामचन्द्र मेहता’ के द्वारा रचना की गई और यह कविता ‘परती-पलार(2007)’ द्विजदेनी स्मृति विशेषांक जनवरी-फरवरी में छपि थी। इस कविता के माध्यम से महाकवि ध्रुव नारायण सिंह राई जी के जीवन के पहलुओ का वर्णन तथा चित्रण मिलता है।  उनके अकसमात निधन पश्चात निवास स्थल जाने वाले रास्ते का नामकरन उनके नाम 'ध्रुव नारायण सिंह राई पथ' पे किया गया है।  

कविता इस प्रकार है — 

सावधान! इस गली

में एक कवि रहता है।

(महाकवि ध्रुव नारायण सिंह राई के संदर्भ में) 

काव्यकार रामचन्द्र मेहता’

लेखक/अधिवक्ता




   

सावधान! इस गली में एक कवि रहता है।

डूबा रहता किसी चिंतन में

खोया-खोय-सा रहता है।

जब सोई रहती है दुनिया

जग कर विशेष कुछ लिखता है।

जाने क्या-क्या लिख-लिखकर वह

पन्नों को रँगता रहता है?

 

सावधान! इस गली में एक कवि रहता है।

कभी न गुजरना इस गली से

राह रोककर कुछ कहता है—

‘कुछ विरच साहित्य सेवा कर’

यही कुछ अटपटा बकता है।

क्या जाने क्या मिलता उसको

अपनी ही धुन में रहता है।

 

सावधान! इस गली में एक कवि रहता है।

मत पढ़ो कभी उसकी रचना

जात-धरम सब मिट जायेगा।

कभी न मानो उसका कहना

भेद तुम्हारा खुल जायेगा।

मानवता की गुहार लगाते

कविताएँ रचता रहता है।

 

सावधान! इस गली में एक कवि रहता है।

अपना विरूप रूप धुलाने

तुमलोग वहाँ क्यों जाओगे?

भोगवाद की सहज विरासत

सारी निधियाँ लुटवाओगे।

पतित हो गए हो तुम कैसे

दिखाने की कोशिश करता है।

 

सावधान! इस गली में एक कवि रहता है।

मत पूछो बेमानी बातें

पोल सहज सब खुल जाता है।

अजी, नहीं कुछ बचता बाकी

बेनकाब वह कर देता है।

साम्यवाद की जला मशालें

मुक्ति-गीत गाता रहता है।

 

सावधान! इस गली में एक कवि रहता है।

कालिदास की सुभग कल्पना

विद्यापति का सरस श्रृंगार।

सूरदास की अतल गहराई

तुलसीदास जैसा विस्तार।

जनकवि कबीर का फक्कड़पन

हरदम दिखलाता रहता है।

सावधान! इस गली में एक कवि रहता है।


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