Thursday, February 17, 2022

अँगूठा बोलता है (खण्डकाव्य), 1997, ध्रुव नारायण सिंह राई

 

अँगूठा बोलता है (खण्डकाव्य), 1997,

 ध्रुव नारायण सिंह राई द्वारा रचित खण्डकाव्य में छपी स्तुति

महाकवि ध्रुव नारायण सिंह राई


स्तुति


हे हर!

प्रशस्त कर जीवन-पथ,

सरल बने इति औ' अथ।

 

वसन्त नित, गंध मधुर,

सुभग सुमन-पराग-उर

सरसे, हे हर!

 

मोह मंद, ज्ञान जगे,

परम अर्थ, मद भागे,

सुलक्ष्य, हे हर!

 

वचन-अर्थ सहज, सती,

बने सदा, मिले सुमति

माते, हे हर!


स्तुति
अँगूठा बोलता है (खण्डकाव्य), 1997
ध्रुव नारायण सिंह राई



अँगूठा बोलता है (खण्डकाव्य), 1997,

ध्रुव नारायण सिंह राई

 


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कविवर युगल किशोर प्रसाद / द्वापर गाथा (महाकाव्य) ध्रुव नारायण सिंह राई, 2012 का जीवन-मूल्य का वेब लिंक 




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