Showing posts with label Dr. Alka Verma Poetess. Show all posts
Showing posts with label Dr. Alka Verma Poetess. Show all posts

Friday, October 13, 2023

एक प्रेरक पुंज है “अँगूठा बोलता है” खण्डकाव्य - डॉ. अलका वर्मा

एक प्रेरक पुंज है “अँगूठा बोलता है” खण्डकाव्य - डॉ. अलका वर्मा



(पुस्तक समीक्षा)

एक प्रेरक पुंज है  “अँगूठा बोलता है” खण्डकाव्य

- डॉ. अलका वर्मा


          खंडकाव्य वह काव्य होता है जिसमें एक कथा का सूत्र विभिन्न छंदों के माध्यम से जुड़ा रहता है। खंड काव्य के नायक का जीवन के व्यापक चित्रण के स्थान पर किसी क पक्ष , अंश अथवा रुप का चित्रण होता है। हिन्दी के प्रमुख खंडकाव्य मैथिलीशरण गुप्त का ‘जयद्थवध’, ‘पंचवटी’ तथा ‘नहुष’, सियाराम शरण गुप्त का ‘र्मौय विजय’, रामनरेश त्रिपाठी का ‘पाथिक’, निराला कृत ‘तुलसीदास’, प्रसाद कृत ‘प्रेम पाथिक’ प्रसिद्ध खंडकाव्य है। उसी श्रृखला में ध्रुव नारायण सिंह राई रचित “अँगूठा बोलता है” खंडकाव्य अप्रतिम, सरस, समृद्ध एवं शोषित दलितों का प्रतिनिधित्व करता एक अनुपम कृति है।

          “अँगूठा बोलता है ” आज की युग की चेतना से प्रभावित है। कवि एकलव्य जैसा दलित, उपेक्षित निरीह व्यक्ति को अपने काव्य का विषय बनाना उनकी लेखनी की प्रखरता प्रवीणता हृदय की संवेदनशीलता को दर्शाती है। उन्हें वर्ण वैमन्स्यता पर क्षोभ है, कहते हैं जब प्रकृति भेद भाव नहीं रखती फिर हम मानव क्यों 

प्राणदायिनी हवा हमेशा

सर्वसुलभ सब नासिका पास।

विगलित हो धरती की ममता

क्षीर सदृश बहती अनायास।


सहज प्राप्य हैं सूर्य-रश्मियाँ

शीतल स्वच्छ सब सरिता सलिल।

सुधा-सीकर बरसाती निशा

सबके हित ये तारे झिलमिल।

(प्रथम सर्ग)

          नौ सर्ग में विभक्त यह खंडकाव्य की सारी लक्षणों से परिपूर्ण एक विलक्षण काव्य है। प्राकृतिक उपादानों–उपमानों द्वारा प्रकृति का मनोहारी परिवेश का वर्णन करते हुए समानता की बात करते हैं-

जब हुआ सृष्टि का सूर्योदय,

यहाँ जगत् में कहीं नहीं था

वर्ण-भेद का कलुषित विचार,

वर्ग - वैषम्य - बोध अन्यथा।

(प्रथम सर्ग)

          द्रोण अपने व्यवहार से खिन्न थे। वे द्रुपद से बदला लेने को कृत संकल्पित थे। ऐसी अवस्था में हस्तिनापुर का गुरुपद  पाकर धन्य हुए, वे उन राजपुत्रों में सर्वक्षेष्ठ ढूढ़ रहे जो अपमान की अग्नि से झुलसे हुए हृदय को ठंडक प्रदान कर सके। एकलव्य जब शिक्षा की भिक्षा के लिए द्रोण के पास पहुँचा। शिक्षा उस समय सवर्णों की बपौती थी। शूद्रों को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार ही नहीं था। दानवीर कर्ण जैसे महायोद्धा को भी इस दंश को झेलना पड़ा था। छद्म नाम से शिक्षा ग्रहण किए थे, जिस कारण शापित होना पड़ा था। सवर्ण इस अधिकार को क्यों शूद्र को देना चाहेगा। एकलव्य के अनुरोध को गुरु के क्रोध का सामना करना पड़ा

अपावन बना दी है तुमने

आज मेरे आश्रम की ठाँव।

अब लौट जाओ तुम यहाँ से

अछूत, अविलंब उलटे पाँव।


नहीं तो खींच लूँगा अवश्य

ज़बानदराज़, जिह्वा तेरी।

औ’ उधेड़़ दूँगा निश्चित ही

अधम, अस्पृश्य चमड़़ी तेरी।

       (तृतीय सर्ग)

          जबकि वह विनती के साथ गुरु से अनुनय करता है। कवि के शब्दों में –

नहीं समुचित गुरुवर यह कोप

मैं तो विशुद्ध दया का पात्र।

बनकर सदाशय-उदारमना

बना लें मुझको अपना छात्र।


दें निज प्रेम-पीयूष प्रसाद

खोलें विद्या-द्वार अवरुद्ध।

तोड़़कर प्राचीन परम्परा

बनाएँ शूद्र को भी सुबुद्ध।

       (तृतीय सर्ग)

          जब वन भ्रमण के क्रम में  कुत्ते के मुख को बाणों से विद्ध देखा तो चकित हो धर्नुधर का परिचय पूछते हैं। तब एकलव्य सरल शब्दों में अपना परिचय देता है-

जन्म से हीन; किंतु कर्म से

कोशिश कर मैं बन सका सबल।

करता हूँ शस्त्राभ्यास यहाँ

नाम जापकर गुरु का निर्मल।


चाहता केवल दलितोद्धार

नहीं निहित कुछ उद्देश्य अथच।

लक्ष्य मात्र करूँ धराशायी

रुढ़़ परम्परा को, भेद कवच।

(चतुर्थ सर्ग)

          एकलव्य गुरुदक्षिणा देकर भी अविचल खड़ा रहा। कवि के शब्दों में-

खड़़ा रहा एकलव्य अविचल

ज्यों बड़ा शूरमा अलबेला।

लगी प्रतिमा अपरिचित उसको

जैसे कोई बेजान शिला।

(पंचम सर्ग)

          जबकि प्रकृति का कण-कण सिहर उठा था, कवि के शब्दों में-

प्रकृति सिहरी, सिहरा संसार

दस दिशाएँ सब उठीं पुकार।

हा ! त्राहि-त्राहि! मची गगन में,

गुंजा वन में आर्त्त चित्कार।

(पंचम सर्ग)

          एकलव्य दीन दलित का प्रतिनिधित्व करता है। अँगूठा गवाने के पश्चात् माता-पिता के इस कथन –

मैं कहता था–वत्स, व्यर्थ यूँ

उसके हित कोशिश करते हो,

मर मिटोगे किंतु न मिलेगा

नाहक ऐसी ज़िद करते हो।

(सप्तम सर्ग)

          के जबाब में गर्वोक्ति-

नहीं पिताजी, नहीं मिलेगा

कभी भी शूद्रों को अधिकार।

नहीं मिटेगा, नहीं मिटेगा

दीपक जले बिना अंधकार।


ब्राह्मणों ने निज स्वार्थ निमित्त

कठोर निषेध-नियम बनाया।

क्षत्रिय ने निज बल-वैभव से

धरती पर इसको फैलाया।

(सप्तम सर्ग)

          एकलव्य निराश नहीं होकर कर्म को धर्म मानता है। क्रांति का संदेश देता है। निराश न होने की प्रेरणा भी देता है। कवि के शब्दों में-

शूद्र होने का मुझको गर्व

मैं नहीं कम किसी सवर्ण से।

सदा विचार बड़़ा रखता हूँ

कुछ फ़र्क़ न पड़़ता अवर्ण से।

(अष्टम सर्ग)

          साथ ही एकलव्य शूद्रों को जगाना चाहता है।

जगाना नहीं है उकसाना,

मैं सुसुप्तों को जगाता हूँ।

शूद्र जबतक सोया रहेगा

हीन रहेगा समझाता हूँ।

(अष्टम सर्ग)

          कवि एकलव्य के माध्यम से युवकों को प्रेरणा देता है-

चलनेवाला पाता मंजिल

चढ़़ जाता सर्वोच्च सोपान।

अवर्ण हो अथवा हो सवर्ण

संरक्षित करता स्वाभिमान।

(अष्टम सर्ग)

          गुरु द्रोण अँगूठा दान में ले तो लेते हैं किन्तु अन्दर तक हिल जाते हैं कवि एक नवीन प्रसंग को अपने काव्य में स्थान देकर गुरु द्रोण के प्रति मानवीय संवेदना व्यक्त करते हैं। तदापि एकलव्य अँगूठा देकर उच्च स्थान प्राप्त कर लेता है किन्तु गुरु द्रोण अपनी ही नजर में गिर जाता है। गुरु पद पर जन-जन को अँगूली उठाने पर वाध्य कर देता है, गुरु की महिमा धूमिल हो जाती है। फिर भी एकलव्य यह नहीं कहता नफरत करो कहता अपनी सोच में आफतब लाओ

नफ़रत से नफ़रत बढ़़ती है

पहले इसकी चिता जलाओ।

किसने तुमको रक्खा वंचित

इस विचार को मत धधकाओ।


यह सच बात है कि लड़़कर ही

केवल, ना आता इन्कि़लाब।

इसके लिए ज़रूरी जगना

उगाना सोच का आफ़ताब।

(अष्टम सर्ग)

      कवि ने धर्म की परिभाषा बहुत ही सुन्दर ढ़ंग से परिभाषित किया है। वे सुकर्म को ही श्रेष्ट धर्म मानते हैं। अगर पतित को हाथ का सहारा देकर उठाते हैं, उसके प्रति मन में स्नेह भाव रखते हैं वह मनुष्य ही श्रेष्ठ कहलाता है। कवि के शब्दों में-

धर्म-प्राणीमात्र की सेवा,

रखना अतुलित स्नेह हृदय में;

करना कर्म सदैव महत्तर

और सुजन-सत्कार निलय में।


कर न्योछावर निज जीवन भी

बनाना पतित को भी उत्तम।

यही सुकर्म, यही श्रेष्ठ धर्म

सदा संसार में सुंदरतम।

(प्रथम सर्ग)

तथा इसके साथ धर्म कर्म का समायोजन कर कहता है-

धर्म वह जो इंसाँ बनाता,

सुकर्म बनाता सुभट बलवान्।

समझ बनाती सबको सक्षम

आत्मविश्वास बनाता महान्।


जगाओ आत्मविश्वास अटल

यदि तुमको ऊपर उठना है;

अंतर में प्रज्वालो ज्वाला

वर्णाश्रम ज़ीना चढ़़ना है।


प्रयत्न कर ही चढ़ता मानव

जीवन में उत्कर्ष-सोपान।

जो बैठा रहता अकर्मण्य

उसे पददलित करता जहान।

(सर्ग अष्टम)

     यह खंडकाव्य ध्रुव नारायण सिंह राई की रचना ‘अँगूठा बोलता है’ साहित्यकाश में ध्रुव तारा समान स्थिर और चमकता रहेगा, भटके हुए समाज को रास्ता दिखाता रहेगा।

कवि के शब्दों में-

नाम से कुछ काम ना होता

सुकाम बड़ा होना चाहिए।

मनुज सवर्ण हो अथवा शूद्र

विचार खरा होना चाहिए।

(सर्ग अष्टम)

     यह खंडकाव्य जन जन के आँखों पर असमानता का पड़ा पर्दा हटाने के लिए काफी है, यह इंकलाब की आवाज उठाने वाला क्रांति मंत्र है। हम अपने स्थिति पर रोए नहीं बल्कि आगे बढ़ने का रास्ता बनाए। अतः यह एक प्रेरक खंडकाव्य है।

     फिर अष्टम सर्ग में कवि एकलव्य एकालाप माध्यम से कहता है शूद्र को भी समान अधिकार मिलना चाहिए। वह सवर्णों से कम नहीं। दलित को सामान अधिकार देने के पक्ष में कवि का प्रयास प्रशंसनीय, प्रेरणादायक और अनुकरणीय है । जिसे कवि शब्दों में- 

अतः मैं कहता—करो यक़ीन

शूद्र न कभी सवर्णों से कम।

समझो, संचेतो, ऐ शूद्रो!

करो सोत्साह सुकर्म हरदम।

 (सर्ग अष्टम)

     नारी सशक्तिकरण को कवि आवश्यक समझता है। 

कवि शब्द में-

पर युवकों का हाथ चाहिए ,

आवश्यक युवतियों का साथ।

नारी सशक्तिकरण बिना, हम

कभी नहीं हो सकते सनाथ।

(सर्ग अष्टम)

     अँगूठा बोलता है एक सोद्देश्यपूर्ण, शोषितों का प्रतिनिधित्व करता काव्य है, एकलव्य के माध्यम से     

     वे सामंतवादी व्यवस्था का धृणित रुप सबके समक्ष रखते है। इस काव्य की विलक्षण प्रतिभा उभर कर खंडकाव्य की उत्तेजक उत्पीड़क शक्ति हमारे मन को झकझोर देती है साथ ही कवि शब्द धारा प्रेरणा बन एक नया शक्ति संचार करती है। प्राचीन युग की क्या कहा जाय, आज भी हम कुत्सित मानसिकता से उबर नहीं पाए हैं। उबरना होगा, जन-जन में क्रांति की मशाल जलानी होगी, तभी राष्ट्रीय एकता की बात कर सकेंगे। इस खण्ड काव्य में जमीनी हकीकत की बयानी है और जुल्मों सितम से लड़ने की प्रेरणा भी। 

     कविवर ध्रुव नारायण सिंह राई साहित्यकाश का ध्रुव तारा हैं तथा उनकी यह अमर कृति युग-युग तक जन-जन के दिलों में अपना स्थान कायम करेगी। यह विश्वास है “अँगूठा बोलता है” कवि के नाम सदृश ही साहित्याकाश में चमकता रहेगा।

 


पुस्तक का नाम- “अँगूठा बोलता है” खण्डकाव्य

रचनाकार का नाम- ध्रुव नारायण सिंह राई

प्रथम संस्करण- 1997 माधविका प्रकाशन

द्वितीय संस्करण- 2022 स्वराज प्रकाशन,    

                          दरियागंज, दिल्ली 

                                    मूल्य- 175/- 


समीक्षक डॉ. अलका वर्मा

त्रिवेणीगंज, जिला- सुपौल, 

बिहार,   852139

मो. — 7631307900

__________________



Please click on link and subscribe YouTube channel  Dr. Alka Verma YouTube videos👇

▶️ Dr. Alka Verma Official YouTube Channel



Tap on link to view more blogs 👇

दलित अस्मिता विमर्श को उकेरती एक काव्य कृति! “अँगूठा बोलता है” खण्डकाव्य - डॉ. धर्मचन्द विद्यालंकार ‘समन्वित’

आप कहाँ चले गए महाकवि! -विष्णु एस राई 

राष्ट्र की धरोहर है “द्वापर गाथा” महाकाव्य - डॉ. अलका वर्मा

समकालीन युगधर्म से सम्पन्न एक काव्य-कृति /पुस्तक समीक्षा “द्वापर गाथा” महाकाव्य -डॉ. धर्मचन्द्र विद्यालंकार


Some related blogs post, please tap to read more👇

डॉ. अलका वर्मा जी की कविता उत्तर दे

डॉ. अलका वर्मा



डॉ. अलका वर्मा जी का परिचय -


नाम: डॉ अलका वर्मा 

पिता :स्व० रामेश्वर प्रसाद

माता : श्रीमती बसंती देवी

पितामह: राजवंशी सहाय, बनौली, दरभंगा 

पति :स्व अनिल कुमार श्रीवास्तव

महथावा बाजार, अररिया 

जन्मस्थान पिपरा बाजार, सुपौल, बिहार

जन्म तिथि:12/11/1959

शिक्षा: एम०ए०(द्वय) बी०एड,पी०एच०डी०

संगीत प्रभाकर, उर्दू अधिगम प्रशिक्षण कौर्स(उर्दू निदेशालय द्वारा),विधावाचस्पति की मानद उपाधि,

विद्यासागर की मानद उपाधि 

प्रकाशित-राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में कविता,आलेख गजल, लघुकथा,कहानी, संस्मरण आदि

जैसे नई धारा, राजभाषा,सरिता, हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण,आज, आर्यावर्त ,तर्पण, दस्तक,लोकगंगा,संवदिया,परतीपलार,

आत्मदृष्टि,क्षणदा,जनतरंग,जन आकांक्षा,सुसंभाव्य,प्राच्य प्रभा, स्वाधीनता संदेश,सीमांचल उदय, साहित्यवैभव,सृजनोमुख,कौशिकी ,

स्पर्श, राइजिंग बिहार, जिज्ञासा संसार, पद्मनाभ,किरण दूत,कविता कोश, वसुन्धरा,किरण दृष्टि, कौस्तुभ,भाषासहोदरी,तरूणोदय,बसंत(मारीशस),(हिन्दी)

मिथिला मिहिर,बालबटुक,सखी बहिनपा,बटुक(मैथिली)

सांझा संकलन : कोशी अंचल की लघुकथाएं,आखर के नये घराने,आलोक एवं आलोक की कविताएं, समकालीन हिंदी कविता, गंगा की रानी,गुलाबी गलियां,भाग ले, एहसास 

संरक्षक पद्मनाभ साहित्य मंच,तरूणोदय पत्रिका, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन,पटना,आखिल भारतीय साहित्यिक मंच, खगड़िया 

आजीवन सदस्य:छंदशाला,सामयिक

परिवेश, रेडक्रास सोसायटी सुपौल,

संवदिया पत्रिका ,अररिया


 प्रकाशित पुस्तक:

1 'मुझे मेरे नाम से पुकारो(काव्य संग्रह पुरस्कृत)

2 कहीं अनकही (लघुकथा संग्रह, पुरस्कृत)

3 गुलमोहर (कहानी संग्रह) पुरस्कृत 

4 'आओ बच्चों देखो फूल(बाल कविता संग्रह पुरस्कृत)

5 कुछ तेरी कुछ मेरी बात (काव्य संग्रह) हिन्दी में 

6 दर्द गहराता बहुत है(ग़ज़ल संग्रह)

7 एक टीस(कहानी संग्रह)

8 एक मुट्ठी इजोर(कथा संग्रह पुरस्कृत) 

9 समकालीन मैथिली कविता में प्रगति वादीचेतना(आलोचना) मैथिली में, आदि प्रकाशित पुस्तकें हैं। 

प्रेस में 

1 कुछ तीखी कुछ मीठी (लघुकथा संग्रह )

2 अतीत के झरोखे से (संस्मरण संग्रह)

3 मैथिली कविता संग्रह    

साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से भी संबद्ध है।

2008 में कोशी क्षेत्र में आई बाढ़ में कार्य करने पर मारवाड़ी युवा मंच द्वारा सम्मानित 


8 बर्ष तक शिक्षा दान

शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु मुख्य मंत्री द्वारा राजकीय पुरस्कार से सम्मानित एवं पुरस्कृत 

प्रसारण :

आकाशवाणी 'शतदल' में काव्यपाठ, लघुकथा पाठ,कथा पाठ

 दूरदर्शन 'साहित्यिक 'में मंच संचालन

और काव्यपाठ

'खुला आकाश'में वार्ता 


सम्मान अनेक सम्मानों से सम्मानित 

राजकीय शिक्षक पुरस्कार 

1 विधासागर की मानद उपाधि (बिक्रमशिला विद्यापीठ)2023

2 सहोदरी सम्मान, अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन , महात्मा गांधी संस्थान,मारीशस2023

3 हिन्दी रत्न(बिक्रमशिला विद्यापीठ)2023

4 कबीर कोहिनूर पुरस्कार,नागौर, राजस्थान 2023

5 नेपाल भारत साहित्य महोत्सव में सम्मानित (नेपाल)2023

6 भारत रत्न डॉ अम्बेडकर कीर्ति रत्न सम्मान,जायल राजस्थान,,2023

7 राष्ट्रकवि दिनकर सारस्वत सम्मान(राष्ट्रकवि दिनकर अकादमी, मुजफ्फरपुर)2023

8 नारी सशक्तिकरण के लिए प्रशासन से सम्मानित 2023

9 लघुकथा पाठ महारथी सम्मान, सामयिक परिवेश द्वारा 2023

10 कोशी साहित्य शोर्य सम्मान (स्वर्ण सम्मान)अखिल भारतीय साहित्य सृजन मंच खगड़िया 2023

11 साहित्य सेवा सम्मान, गोरखपुर 2023

12 निर्मल मिलिंद बाल साहित्य शिखर सम्मान, हिन्दी बाल साहित्य शोध संस्थान,बनौली, दरभंगा 2023

13 शिक्षा मार्तण्ड सम्मान, डॉ राजेन्द्र प्रसाद कला एवं युवा विकास समिति समस्तीपुर 

14 निर्मल इंडिया न्यूज़ द्वारा तिरहुत अमृत महोत्सव में सम्मानित 2023

15 साहित्य गौरव सम्मान (जिज्ञासा संसार और गोस्वामी जागरण मंच)2023

16 स्नेह शंभू अगेही शिखर सम्मान, हिन्दी समाहार मंच, दरभंगा 2023

17 ओजस्विनी नारी सम्मान 2023

18 विश्व हिन्दी साहित्य रत्न सम्मान 2023

19 पद्भनाभ नारी शक्ति सम्मान 2023

20 साहित्य सेवी‌ रत्न सम्मान 2022(थावे विद्यापीठ द्वारा उड़ीसा में)

21 भारत गौरव की उपाधि (बिक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ ,गांधी नगर)2022

22 पद्मनाभ पर्यावरण संरक्षक सम्मान 2022

23डॉ हरिवंशराय बच्चन स्मृति सम्मान 2022

24 अन्तराष्ट्रीय बसवा जयंती,नेपाल में सम्मानित 2022

25 सामयिकपरिवेश रत्न सम्मान 2022

26 आदि शक्ति प्रेम नाथ खन्ना नाट्योत्सव में सम्मानित2022

27 सामयिक परिवेश रत्न सम्मान (लघुकथा के लिए)2022

28 मां मालती देवी स्मृति सम्मान 2022

29 पद्भनाभ रंगोत्सव सम्मान 2022

30 समाज सेवा रत्न सम्मान, जिज्ञासा संसार 2022

31 साहित्यक गौरव सम्मान ,बुलंदी साहित्य संस्थान 2022

32 पद्मनाभ हिन्दी गौरव सम्मान 2022

33 SM न्यूज द्वारा प्रतिभा सम्मान से सम्मानित 2022

34 पद्भनाभ साहित्य साधक सम्मान से सम्मानित 2022

35 कथा साहित्य गौरव सम्मान (कही अनकही)से सम्मानित 2022

36 एम बी एकेडमी द्वारा सम्मानित 2022

37 अंग रत्न सम्मान (अखिल भारतीय साहित्य परिषद , भागलपुर)2022

38 राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा अयोध्या में सम्मानित 2022

39 चतुवेर्दी प्रतिभा मिश्र साहित्य साधना सम्मान (बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन,पटना)2022

40 सहभागिता सम्मान (बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन,पटना)2022

41 श्री केशव स्मृति सम्मान 2022

42 दिनकर सम्मान202 1(बिहारशरीफ)

43 राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा सम्मानित 2021

44 किरण दृष्टि द्वारा सम्मानित 2021

45 अष्ठाना कला मंच द्वारा सम्मानित 

46 गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति (स्वायत निकाय सांस्कृतिक मंत्रालय) द्वारा सहभागिता प्रमाण पत्र2021

47 विधावाचस्पति सारस्वत सम्मान (बिक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर)20 21

48 युवा साहित्यकार सम्मान 2021 (बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन,पटना)

49 पद्मनाभ सृजन सम्मान 2021

50 भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन द्वारा सम्मानित 2021

51 लेख्यमंजूषा द्वारा सम्मान 2020

52 देवशील मेमोरियल द्वारा सम्मानित 2020

53 काव्य गौरव सम्मान, स्पर्श भारती द्वारा 2020

54 साहित्य गौरव सम्मान,अष्ठाना कला मंच द्वारा 2020

55 हरिमोहन झा राष्ट्रीय शिखर सम्मान2019

56 भारतीयसाहित्यसम्मान2019,

57 जानकी बल्लभ शास्त्री स्मृति सम्मान 2019

58 राष्ट्रीयकवि संगम द्वारा सम्मानित 2019

59 नये पल्लव सम्मान2019

60 सहभागिता सम्मान (मैथिली लेखक संघ )2019

61 राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा बेगुसराय में सम्मानित 2019

62 सुभद्रा कुमारी चौहान राष्ट्रीय शिखर साहित्य सम्मान2018

63 आरसी प्रसाद सिंह रजत स्मृति,2018

64 ओम शांति द्वारा सम्मान2018

65 शिवानी राष्ट्रीय निखर सम्मान2018

66 जन संस्कृति सम्मान 2018

67 हरिवंश नारायण बच्चन स्मृति सम्मान2018

68 विद्या नारायण स्मृति सम्मान 2018

69 श्री कपिल मुनि सिंह अंग विभूति सम्मान 2018

70 काव्य भूषण, 2018

71 राजकीय शिक्षक सम्मान एवं पुरस्कार मुख्यमंत्री द्वारा 2018

72 मथुरा प्रसाद स्मृति सम्मान2017

73 लोक सेवा सम्मान2017

74 कवि अमोघ स्मृति सम्मान 2017

75 काव्य भूषण सम्मान,2017

76 कोशिकी रत्न सम्मान 2017

77 नारी सशक्तिकरण हेतु जिला प्रशासन से सम्मानित 2016

78 जन साहित्य सेवा सम्मान, 2014

79 नागार्जुन सम्मान एवं साहित्य अलंकरण,2014

80 काव्य गौरव सम्मान 2014

81रहीम सम्मान एवं साहित्य अलंकरण2014

82 तुलसीदास सम्मान एंव साहित्य अलंकरण 2012

83 शांति मैत्री सम्मान2010

84 बाढ़ में किए गए कार्य के लिए मारवाड़ी युवा मंच द्वारा सम्मानित 2008

85 सद्भावना शिक्षक पुरस्कार

 

डॉ अलका वर्मा

पूर्व प्राचार्य 

त्रिवेणीगंज ,सुपौल 852139

बिहार

मो - 7631307900

ई मेल - dralka59@gmail.com

_______________________________________






“टुकड़ा-टुकड़ा सच” कविता संग्रह समीक्षा —डॉ. अलका वर्मा / वास्तविकता से रुबरु कराती है यह काव्य संग्रह “टुकड़ा-टुकड़ा सच”

वास्तविकता से रुबरु कराती है यह काव्य संग्रह “टुकड़ा-टुकड़ा सच”  —डॉ. अलका वर्मा (पुस्तक समीक्षा) वास्तविकता से रुबरु कराती है यह काव्य संग...