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Sunday, February 27, 2022

ध्रुव नारायण सिंह राई की ग़ज़ल (सफ़र-ए-ज़िंदगी)


       सफ़र-ए-ज़िंदगी

                              (ग़ज़ल)
 

तय करना है साथ-साथ सफ़र-ए-ज़िंदगी

मुश्किलों में भी लगे सुहाना सफ़र-ए-ज़िंदगी

 

मुझको होगा दर्द, अगर तुमको काँटे चुभे

देह दो और जाँ एक होगी सफ़र-ए-ज़िंदगी

 

चलते-चलते थकी तो थाम लूँगा हाथ तेरा

ख़ुशी-ख़ुशी तय हो जायेगा सफ़र-ए-ज़िंदगी

 

हम होंगे न गुमराह चाहे जैसा हो ज़माना

ऐसा अर्मान-ए-इश्क़ मेरा सफ़र-ए-ज़िंदगी

 

चाहे जो भी हो जाये मुहब्बत कम नहीं होगी

हमेशा रहेगा ख़ुशनुमा सफ़र-ए-ज़िंदगी


ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई











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