Showing posts with label मैं आईना क्या देखूँ गजल ध्रुव नारायण सिंह राई. Show all posts
Showing posts with label मैं आईना क्या देखूँ गजल ध्रुव नारायण सिंह राई. Show all posts

Wednesday, March 23, 2022

मैं आईना क्या देखूँ / ग़ज़ल- ध्रुव नारायण सिंह राई

 

ध्रुव नारायण सिंह राई

                        





                          मैं आईना क्या देखूँ

                                                  (ग़ज़ल)

 

मैं आईना क्या देखूँ मेरा आईना तो तुम हो

अक्स-ए-रूह देखता हूँ मेरा आईना तो तुम हो

 

मैनें जहाँ में जो भी देखा सिर्फ तेरा ही रंग देखा

शान-ए-हयात क्या देखूँ मेरा आईना तो तुम हो

 

सैरकर तेरे आँखों का मैं सैर करता जहाँ का

बाहर क्यों कहीं मैं जाऊँ मेरा आईना तो तुम हो

 

रंग-रंग के नज़ारे तेरे रूख़ो-बदन में क़ैद

मैं देख मचल जाता हूँ मेरा आईना तो तुम हो

 

जहां कहीं भी जमीं पर मैंने मंज़रे-बहार देखा

बहार में तुम ही तुम थी मेरा आईना तो तुम हो

...............................


Tap on link to read more

ग़ज़ल -ध्रुव नारायण सिंह राई/आज फिर आस्माँ में घनी घटा छाने लगी है

ध्रुव नारायण सिंह राई की ग़ज़ल (सफ़र-ए-ज़िंदगी)


मैं आईना क्या देखूँ , ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई के द्वारा  मैं आईना क्या देखूँ  ग़ज़ल के वाचन का युटुब वीडियो 





कविवर युगल किशोर प्रसाद (कविता : बरसात-उमड़ते बादल)
 

“टुकड़ा-टुकड़ा सच” कविता संग्रह समीक्षा —डॉ. अलका वर्मा / वास्तविकता से रुबरु कराती है यह काव्य संग्रह “टुकड़ा-टुकड़ा सच”

वास्तविकता से रुबरु कराती है यह काव्य संग्रह “टुकड़ा-टुकड़ा सच”  —डॉ. अलका वर्मा (पुस्तक समीक्षा) वास्तविकता से रुबरु कराती है यह काव्य संग...