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Wednesday, March 30, 2022

ग़ज़ल -ध्रुव नारायण सिंह राई/आज फिर आस्माँ में घनी घटा छाने लगी है

आज फिर आस्माँ में घनी घटा छाने लगी है

मुझे किसी के गेसुओं की याद आने लगी है

 

मंडरा रहे मस्त भौंरे गुल-ए-गुलाब पे

रफ़्ता-रफ़्ता ख़ुमारी सरपर छाने लगी है

 

माहताबे-रूख़ खेले आँख मिचौली, ख़ुशी

रात भी ग़ज़ल आज गुनगुनाने लगी है

 

तीर-ए-नज़र से क्यूँ होता है दिल धायल

ये अदा चिलमन में आग लगाने लगी है

 

मय, मैकदा और शोख़ी-ए-साक़ी सब कुछ

कहीं दूर से सदा-ए-आरज़ू आने लगी है

ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई

   ग़ज़ल -ध्रुव नारायण सिंह राई






आज फिर आस्माँ में घनी घटा छाने लगी है ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई रचित ग़ज़ल का निर्मला विष्ट जी के द्वारा वाचन का युटुब वीडियो


ध्रुव नारायण सिंह राई की ग़ज़ल (ये हसीं हँसी गर मिली है मुझको)

Monday, February 21, 2022

ध्रुव नारायण सिंह राई की ग़ज़ल (देखकर भी नज़र चुराना)


ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई


                      
देखकर भी नज़र चुराना

 

देखकर भी नज़र चुराना कोई तुमसे सीखे

कैसे बनता हसीन बहाना कोई तुमसे सीखे

 

चलते-चलते बिछड़ गये तो मैं दूँगा सदा

कैसे कोई चुप रहता है कोई तुमसे सीखे

 

ज़िंदगी दो दिनों की हँसकर गुजर जाए

मैं क्या जानूँ यूँ रूठना भी कोई तुमसे सीखे

 

क्या मिलेगा रूठकर ऐसे रूठना ही बेमानी

रूठना और फिर मनाना कोई तुमसे सीखे

 

आशिक़ हैराईहमेशा आशिक़ ही रहेगा

दिल-दुखाना यूँ किसी का कोई तुमसे सीखे



ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई द्वारा रचित ग़ज़ल देखकर भी नज़र चुराना यु टुब चैनल लिंक

विनीता राई की युटुब पर विनीता द्वारा ग़ज़ल सम्राट ध्रुव नारायण सिंह राई जी के गजल का वाचन



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